
आज हम बात करने वाले हैं आईबी ऑफिसर चेतन प्रकाश गलाना केस के बारे में। इस घटना की शुरुआत होती है राजस्थान के एक जानेमाने जिला कोटा से 500 मीटर यहीं रामगंज मंडी की इंद्रप्रस्थ कॉलोनी में एक शख्स रहा करते थे, 32 साल के चेतन प्रकाश क्लाना। यह इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी में सीनियर टेक्निकल ऑफिसर थे और दिल्ली में पोस्टेड थे।
इनकी पत्नी थी 28 साल की अनीता मीणा। यह झालावाड़ के गायत्री कॉलोनी की रहने वाली थी। यह एक सरकारी टीचर थी और असनावर के सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पोस्टेड थी। चेतन प्रकाश और अनीता के दो बच्चे भी थे, एक 5 साल का और दूसरा लगभग 4 महीने का। दोनों ही बेटे थे। यहां पर बात हो रही है साल 2018 के दिनों की। इन दिनों चेतन अपनी नौकरी की वजह से दिल्ली में रहा करते थे और अनीता अपनी नौकरी के कारण झालावाड़ में थी।
वैसे पति हर महीने एक-दो दिनों की छुट्टी लेकर अपने घर पर आते रहते थे। जब भी चेतन प्रकाश राजस्थान आते तो सबसे पहले अपने माता-पिता से मिलने के लिए कोटा के रामगंज मंडी जाते और उसके बाद अपनी पत्नी और बच्चों के पास आते हैं। पति-पत्नी ने मिलकर झालावाड़ के एक हाउसिंग बोर्ड में खुद का घर भी खरीद लिया था। जून 2017 के आसपास पत्नी अपने बच्चों के साथ यहीं पर रहती थी।
जब यह वाला घर नहीं था, तो अपने मायके में रहती थी, अपने माता-पिता के पास, क्योंकि वहां से स्कूल नजदीक था। फिर नया घर लेने के बाद यहां शिफ्ट हो गए। इस घर में दोनों परिवारों का भी आना-जाना था। सब मिलजुलकर रहा करते थे। इनके जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं थी। दोनों बेटा-बहू अच्छी पोस्ट पर सरकारी नौकरी कर रहे थे। अच्छे पैसे कमा रहे थे।
अब तो दो बच्चे भी हो चुके थे। परिवार कंप्लीट हो चुका था। सुखी था। हर मायने में यह परिवार अपने सपनों की जिंदगी जी रहा था। लेकिन अब सब कुछ बदलने वाला है। 14 फरवरी 2018, वैलेंटाइंस डे का दिन। इसी दिन चेतन प्रकाश दो दिनों की छुट्टी लेकर राजस्थान आते हैं। हमेशा की तरह पहले यह अपने माता-पिता से मिलने गए। कुछ घंटे उनके साथ बिताते हैं।
उसके बाद शाम के करीब 6:00 बजे इन्होंने झालावाड़ जाने के लिए ट्रेन पकड़ी। आमतौर पर यह 1 घंटे में आराम से हाउसिंग सोसाइटी पहुंच जाया करते थे। इन्होंने इसी बीच अपनी पत्नी को कॉल करके इनफॉर्म भी किया कि 1 घंटे में पहुंच जाएंगे। अब घर पर पत्नी और बच्चे बेसब्री से चेतन प्रकाश का इंतजार करने लगे। धीरे-धीरे समय गुजरने लगा। पत्नी के पास चेतन प्रकाश की तरफ से एक मैसेज जाता है कि ऑटो रिक्शा से पाटन होते हुए आ रहे हैं। समय बीत रहा था। रात हो रही थी। अब रात के 8:00 बज जाते हैं।
अभी तक चेतन प्रकाश घर नहीं पहुंचे। पत्नी को थोड़ी चिंता होने लगती है। 6:00 बजे ही ट्रेन से पति रवाना हुए थे, लेकिन 2 घंटे बाद भी नहीं पहुंचे। पत्नी ने जानकारी के लिए पति को कॉल किया। लेकिन अब उनका फोन रहस्यमय तरीके से बंद हो चुका था। वो कॉल नहीं उठा रहे थे। कई बार अनीता उनका फोन ट्राई करती हैं। इसके बाद इन्होंने अपने ससुर को कॉल किया। आखिर कब चेतन वहां से निकले थे? अभी तक पहुंचे नहीं हैं।
यह सुनकर ससुर जी को भी हैरानी हुई। अनीता ने अपने जानकार के और भी रिश्तेदारों को कॉल लगाया जिनके यहां भी चेतन जाते थे, पर उनको भी कोई जानकारी नहीं थी। चेतन उनके घर नहीं आए हैं। इसके बाद अनीता ने अपने और भी करीबी रिश्तेदारों को कॉल लगाया। इनमें से ही एक थे मनमोहन मीणा। यह गायत्री कॉलोनी में रहते थे।
वही जगह जहां पर अनीता का मायका था। यह रिश्ते में चेतन प्रकाश के साले साहब लगते हैं, यानी अनीता के भाई थे। मनमोहन मीणा ने अपनी बहन से कहा कि आप चिंता मत करो। यह खुद उन्हें जाकर ढूंढेंगे। अब यह निकल भी पड़ते हैं। जानकारी के अनुसार वह झालावाड़ रेलवे स्टेशन पर उतर कर ऑटो रिक्शा में बैठ गए थे। तभी उन्होंने उनको मैसेज करके बताया था कि पाटन होते हुए आ रहे हैं।
इसी के अनुसार साले साहब उन रास्तों पर जा रहे थे। पता कर रहे थे। खोजते-खोजते यह पहुंच जाते हैं झालरापाटन-भवानी मंडी मार्ग पर। यहीं रलायता रेलवे क्रॉसिंग पड़ता है। साले साहब ने देखा कि यहां पर कुछ लोगों की भीड़ लगी हुई है। जब यह करीब गए तो देखा कि यहां पर इनके जीजाजी चेतन प्रकाश बेसुध हालत में पड़े हुए हैं। आखिर इनको क्या हो गया? यह यहां पर क्यों पड़े हुए हैं? वह फ़ौरन कुछ लोगों की सहायता से जीजाजी को लेकर एसआरजी हॉस्पिटल निकल गए। इनकी सांसे नहीं चल रहीथीं।।
डॉक्टर ने भी इनको हॉस्पिटल में चेक किया और कहा कि यह अब इस दुनिया में नहीं है। यह सुनते ही मनमोहन मीणा के पैरों तले जमीन खिसक गई। यह अपनी बहन और बाकी सबको इस घटना की सूचना देते हैं। हॉस्पिटल स्टाफ ने पुलिस को भी सूचना दे दी। अब झालावाड़ सदर थाने की पुलिस मौके पर पहुंचती है। घर से परिजन और रिश्तेदार भी यहां पर आते हैं। आखिर चेतन प्रकाश को क्या हुआ था? इनके शरीर पर कहीं कोई चोट का निशान नहीं था। कपड़े भी ठीक-ठाक और साफ-सुथरे थे।
कहीं कोई संघर्ष का निशान नहीं था। देखकर ऐसा भी नहीं लगा कि इनकी इनकाकिसी के साथ मारपीट हुई हो या कुछ अजीब हुआ हो। पर फिर भी चेतन प्रकाश को हुआ क्या? इनके साथ ऐसी अनहोनी कैसे हो गई? उसके बाद अगले दिन 15 फरवरी को पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराया। बीआरएस हॉस्पिटल में मेडिकल सुपरिटेंडेंट की निगरानी में डॉक्टर्स के पैनल द्वारा सारी प्रक्रिया होती है। अब चेतन प्रकाश कोई छोटे-मोटे आदमी तो थे नहीं। एक ऑफिसर थे।
वह भी इंटेलिजेंस ब्यूरो में हाई प्रोफाइल था। डॉक्टर ने उनके कुछ सैंपल्स प्रिजर्व करके जयपुर एफएसएल भिजवा दिए। यहां पर पोस्टमार्टम जो हुआ था उसमें डॉक्टर्स को कुछ भी पता नहीं चलता है। आखिर चेतन के साथ जो भी अनहोनी हुई उसके पीछे का कारण क्या था? डॉक्टर ने यह भी बताया कि चेतन प्रकाश के हाथ और पैर के नाखूनों में कुछ नीलापन है और वे थोड़े से नीले हो गए हैं। अब इसके पीछे का कारण क्या हो सकता है? यह तो पूरी जांच हिस्टोपैथोलॉजी एग्जामिनेशन के बाद ही पता चल सकता था।
इसी 15 फरवरी को चेतन के पिता महादेव मीणा जी सदर थाने में बेटे की संदिग्ध परिस्थिति को देखते हुए मामला दर्ज करवाते हैं। पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 174 के तहत केस ले लिया। सभी लोग यही मानकर चल रहे थे कि किसी बीमारी की वजह से वह सब कुछ हुआ है। शायद हृदय ने काम करना बंद कर दिया हो। अचानक से यह सब कुछ हुआ था। अभी यह मामला ठंडा पड़ा हुआ था क्योंकि कुछ पुख्ता सबूत नहीं थे। घर में सबका रो-रो कर हाल बेहाल था। सभी दुखी थे। एक तरफ पत्नी बच्चों को लेकर रो रही थी।
दूसरी तरफ बाकी परिवार के लोग। एक बिंदु पर पुलिस को यह भी लगा कि कहीं कोई बाहरी ताकत या कोई खुफिया एजेंसी तो चेतन प्रकाश के पीछे नहीं पड़ी थी, क्योंकि यह एक आईबी ऑफिसर थे। अंदर के आदमी थे। इन्हें कुछ रहस्य पता हो जिसकी जानकारी उन्हें चाहिए हो और जब नहीं मिल पाया तो रास्ते से हटा दिया या फिर इन्हें उस देश की कोई जानकारी पता लग गई हो। वक्त बीत रहा था लेकिन केस अभी भी वहीं पर था। इसी दौरान चेतन प्रकाश के पिताजी भी इधर-उधर भटक रहे थे। चक्कर काट रहे थे।
केस को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे। इन्होंने 5 मार्च 2018 को एसपी ऑफिस में एप्लीकेशन सबमिटकिया,। लेकिन कोई एफआईआर दर्ज नहीं
हुई। वैसे अभी तक केस में कोई भी एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी। पहले झालावाड़ सदर थाने गए थे, लेकिन वहां पर सीआरपीसी के तहत मामला दर्ज हुआ। तब भी केस में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई। एसपी ऑफिस में एप्लीकेशन देने के बाद भी कुछ नहीं होता है।
यहां पर भी नजरअंदाज कर दिया गया। इसके बाद पिता 9 मार्च को लिखित में एक शिकायत मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में सबमिट करते हैं। इसके अगले दिन 10
मार्च में हिस्टोपैथोलॉजिकल रिपोर्ट भी आती है। लेकिन असल में क्या हुआ था चेतन के साथ, यह चीज कंफर्म नहीं थी। इनके पिताजी लगातार जगह-जगह पर भटक रहे थे। न्याय की गुहार लगा रहे थे कि अच्छे से जांच हो। ऐसे करते-करते लगभग 3 महीने गुजर जाते हैं।
अब जाकर कोर्ट के आदेश पर 12 अप्रैल 2018 को एफआईआर दर्ज होती है। सदर थाने में आईपीसी 302 और 120 बिसबी के तहत अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज होता है। पिताजी ने कहा कि वे और उनका परिवार पूरी तरह से पुलिस का सहयोग करेंगे। हर सवाल का जवाब देंगे। आप चाहें तो किसी से भी पूछताछ कर सकते हैं। इन्हें कोई आपत्ति नहीं है। इस केस की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई गई, जिसका नेतृत्व एडिशनल एएसपी कर रहे थे।
इसमें सदर थाना प्रभारी, एएसआई, हेडकांस्टेबल, और कुछ और भी कांस्टेबल थे। इसके अलावा कई और ऑफिसर्स थे। सबसे पहले यह पता लगाने की कोशिश होती है कि घटना वाले दिन यानी 14 फरवरी को चेतन प्रकाश का रूटीन क्या था? दिनचर्या क्या थी? इनके परिवार के लोगों जैसे कि पत्नी, पिता, और भाई से पूछताछ की गई।
उस दिन दिनकौन-कौन से लोग चेतन से मिले थे? दिल्ली और राजस्थान के बीच कहां-कहां पर यह जा सकते हैं? हर चीज, हर डिटेल पुलिस को जानना था।
दिल्ली में चेतन प्रकाश के कलीग से भी बातचीत की जाती है। साइबर टीम ने इनकी उस समय की कॉल डिटेल और लोकेशन हिस्ट्री भी निकलवाई। इनके बैकग्राउंड के बारे में पता किया गया कि कहीं कोई पुरानी दुश्मनी हो, कोई रंजिश हो, हाल के समय में किसी के साथ बहसबाजी हुई हो, या झगड़े जैसी वारदात हुई हो। एक और भी सवाल था कि चेतन रलायता रेलवे क्रॉसिंग पुलिया के पास क्या करने गए थे? जबकि यह तो ऑनटो से पाटन होते हुए फ्लैट जा रहे थे।