
जबलपुर डबल मर्डर केस और दुखद पृष्ठभूमि :
52 वर्षीय राजकुमार विश्वकर्मा, जबलपुर रेलवे डिवीजन में कार्यालय अधीक्षक थे, जो अपनी 16 वर्षीय बेटी काव्या और 8 वर्षीय बेटे तनिष्क के साथ मिलेनियम कॉलोनी के फ्लैट नंबर आरबी थर्ड बाय 364 में रहते थे। मई 2023 में उनकी पत्नी आरती विश्वकर्मा की जम्मू के कटरा में हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई थी, जिसने परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया था। मूल रूप से नमदापुरम के पिपरिया के रहने वाले इस परिवार को राजकुमार की रेलवे नौकरी के कारण जबलपुर में रहना पड़ता था। मां की मृत्यु के बाद बच्चों को अकेलापन न महसूस हो, इसलिए राजकुमार ने उन्हें पिपरिया के अपने बड़े संयुक्त परिवार के पास भेज दिया था।
जबलपुर डबल मर्डर केस: एक सुनियोजित साजिश
15 मार्च 2024 को एक रिश्तेदार ने राजकुमार के घर का मुख्य दरवाजा बाहर से ताला लगा पाया। कोई जवाब न मिलने पर पिपरिया में परिवार को सूचित किया गया। काव्या की कजन मुस्कान को काव्या का एक वॉइस मैसेज मिला, जिसमें उसने कहा, “मुस्कान, जल्दी जबलपुर आओ। पापा और तनिष्क को मुकुल ने मार दिया है।” यह मैसेज कुछ घंटे पहले आया था, जिसे बाद में देखा गया। इस खबर ने परिवार में हड़कंप मचा दिया।
शव पॉलिथीन में लिपटा मिला, और फ्रिज में तनिष्क का शव कंबल और पॉलिथीन में लिपटा मिला। दोनों के सिर पर भारी हथियार से वार के निशान थे।
जांच और चौंकाने वाले खुलासे

पुलिस की जांच में मुकुल सिंह पर ध्यान केंद्रित हुआ, जो पड़ोस के फ्लैट नंबर 3616 में रहता था। सीसीटीवी फुटेज में मुकुल 15 मार्च को अपनी लाल स्कूटी पर कॉलोनी से निकलता दिखा, और कुछ देर बाद काव्या उसी दिशा में पैदल जाती दिखी। दोनों रेलवे स्टेशन और बस स्टॉप पर एक साथ देखे गए, जहां उन्होंने कटनी की बस ली, लेकिन आधारताल में उतर गए। कई बसें बदलकर वे कटनी पहुंचे, जहां से उनका पता नहीं चला। पुलिस को पता चला कि काव्या ने अपने पिता का एटीएम कार्ड लिया था, जिससे 17 मार्च को 10,000 रुपये निकाले गए।
सितंबर 2023 में मुकुल काव्या को भेड़ाघाट ले गया था, जिसके बाद राजकुमार ने पॉक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की थी। काव्या ने कोर्ट में कहा कि वह अपनी मर्जी से गई थी, जिसके बाद मुकुल को जमानत मिल गई। इस घटना ने मुकुल के मन में राजकुमार के प्रति दुश्मनी पैदा कर दी। जबलपुर डबल मर्डर केस की जांच में पता चला कि मुकुल और काव्या ने छह महीने तक इस हत्या की साजिश रची। मुकुल ने क्राइम थ्रिलर फिल्मों से प्रेरणा लेकर गैस टॉर्च, ग्लव्स और चॉपर चाकू ऑनलाइन खरीदे। दोनों ने कॉलोनी की रेकी की और 13-14 मार्च को भेड़ाघाट में हत्या की योजना बनाई।
अपराध और उसका बाद
15 मार्च की सुबह मुकुल ने गैस टॉर्च से पिछले दरवाजे का ताला तोड़ा और घर में घुस गया। राजकुमार किचन में थे, तभी मुकुल ने कुल्हाड़ी से उनके सिर पर कई वार किए। काव्या ने डर से चीख मारी, जिससे तनिष्क जाग गया और पिता को बचाने दौड़ा। मुकुल ने उसे भी मार डाला। दोनों ने खून साफ किया, शवों को छुपाया, और अगरबत्ती जलाकर दुर्गंध छुपाई। काव्या का वॉइस मैसेज शक से बचने का हिस्सा था। दोनों ने खाना बनाया, खाया, और कॉलोनी से अलग-अलग निकल गए। हथियार साथ ले गए।

वे रेलवे स्टेशन पर गए, गुमराह करने के लिए बसें बदलीं, और कटनी, इंदौर, मुंबई, गोवा, बेंगलुरु, कोलकाता, गुवाहाटी, वाराणसी, वृंदावन, चंडीगढ़, अमृतसर और हरिद्वार तक घूमते रहे। एटीएम से 1.5 लाख रुपये निकाले। पैसे खत्म होने पर बिना टिकट ट्रेनों में सफर किया, मंदिरों-गुरुद्वारों में खाना लिया, और भीख मांगी। जबलपुर डबल मर्डर केस की तलाश में पुलिस ने आठ टीमें बनाईं और 30,000 रुपये का इनाम घोषित किया।
पकड़ और कबूलनामा
28 मई 2024 को हरिद्वार के एक सरकारी अस्पताल के पास एक महिला पुलिसकर्मी ने काव्या और मुकुल को बेंच पर सोते देखा। काव्या को हिरासत में लिया गया, लेकिन मुकुल भाग गया। 29 मई को काव्या को जबलपुर लाया गया, जहां उसने कबूल किया कि वह मुकुल के साथ रहना चाहती थी और पिता को रास्ते का कांटा मानती थी। 30 मई को मुकुल ने सिविल लाइंस थाने में आत्मसमर्पण कर दिया, यह कहते हुए, “मैं मुकुल सिंह हूं, जिसने राजकुमार और तनिष्क की हत्या की।” उसके सीने पर पांच चेहरों का टैटू था, जिसमें राजकुमार, काव्या, एक पुलिस अधिकारी, एक पड़ोसी और एक कजन शामिल थे।
कानूनी कार्रवाई और सबक

1 जून 2024 को क्राइम सीन रिक्रिएशन में पता चला कि दोनों शवों को ठिकाने लगाने वाले थे, लेकिन खून देखकर हिम्मत नहीं हुई। पुलिस का कहना है कि काव्या ने साजिश में पूरा साथ दिया, इसलिए उसे जुवेनाइल कोर्ट से वयस्क की तरह ट्रायल करने की अपील की जाएगी। मुकुल जेल में है, और काव्या जुवेनाइल होम में है। जबलपुर डबल मर्डर केस अभी कोर्ट में चल रहा है।
यह जबलपुर डबल मर्डर केस हमें माता-पिता और बच्चों के बीच संवाद की कमी और क्राइम थ्रिलर जैसे बाहरी प्रभावों से सतर्क रहने की सीख देता है। यह कहानी न केवल एक पारिवारिक त्रासदी है, बल्कि समाज के लिए भी एक गंभीर चेतावनी है कि बच्चों पर नजर रखना कितना महत्वपूर्ण है।