
मर्डर मिस्ट्री की शुरुआत: बंदना कलिता और अमरज्योति की शादी
अमरज्योति बेरोजगार था, जिसके कारण दोनों के बीच अक्सर झगड़े होने लगे थे। इस शादी से नाराज़ होने के कारण शंकरी ने भी अमरज्योति और बंदना से सारे संपर्क तोड़ लिए थे। इसलिए, बंदना ने खुद को और अमरज्योति को आर्थिक रूप से सहारा देने के लिए दो साल तक कॉल सेंटर में काम किया। कुछ सालों बाद, जब शंकरी का गुस्सा शांत हुआ, तो उन्होंने अपनी नाराज़गी भूलकर दोनों को आर्थिक सहायता देना शुरू कर दिया।
मर्डर मिस्ट्री में नया मोड़: कॉल सेंटर से जिम ट्रेनर तक का सफर
शंकरी का यह समर्थन देखकर बंदना ने कॉल सेंटर की नौकरी छोड़ दी और फिटनेस ट्रेनर बनने की तैयारी शुरू की। कुछ समय बाद, वह बोंडा के पंप मसल जिम में जिम इंस्ट्रक्टर के रूप में काम करने लगी। बंदना के इस कदम से शंकरी नाराज़ हो गईं। शायद फिटनेस ट्रेनर होने के कारण बंदना का कई लोगों से मिलना-जुलना और उसके बदलते रहन-सहन के तौर-तरीके उन्हें पसंद नहीं आए। इसलिए, शंकरी ने बंदना को समर्थन देना बंद कर दिया, जिससे उनके रिश्तों में फिर से खटास आ गई।
मर्डर मिस्ट्री का काला सच: अमरज्योति की लत और पराए रिश्ते
- शराब और दूसरी औरतों से संबंध बंदना के पुलिस को दिए बयानों के अनुसार, उसने बताया कि अमरज्योति नशे का आदी था और उसका कई महिलाओं के साथ संबंध था। अमरज्योति और उसकी मां के बीच भी रिश्ते अच्छे नहीं थे, और दोनों में अक्सर छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा होता रहता था। यही कारण था कि वह बंदना के साथ अलग फ्लैट में रहने चला गया था।
- मां-बेटे के बीच की खटासबंदना की इस कहानी को सुनकर कोई भी सोच सकता है कि रोज़मर्रा के झगड़ों और पति के उत्पीड़न के कारण गुस्से में आकर उसने यह हत्या की होगी। लेकिन सच्चाई यह थी कि बंदना ने यह पूरी कहानी केवल पुलिस का ध्यान भटकाने के लिए बनाई थी।पुलिस की जांच में पड़ोसियों ने बताया कि मर्डर मिस्ट्री में धन डेका की एंट्री उन्होंने कई बार एक व्यक्ति को बंदना के घर आते-जाते देखा था। सूत्रों के अनुसार, बंदना अपने मायके में किराए पर रहने वाले धन डेका के साथ लंबे समय से रिलेशनशिप में थी। जब अमरज्योति को इस बारे में पता चला, तो दोनों के बीच झगड़ा शुरू हो गया, जो इतना बढ़ गया कि बात तलाक तक पहुंच गई। शंकरी को बंदना के चरित्र के बारे में पहले ही भनक लग चुकी थी, और शायद यही कारण था कि उन्होंने बंदना को समर्थन देना बंद कर दिया था।

क्योंकि अमरज्योति और शंकरी गुवाहाटी में कई जगहों पर संपत्ति के मालिक थे, जिनके किराए से हर महीने अच्छी खासी राशि आती थी, बंदना तलाक देकर इन पैसों से हाथ नहीं धोना चाहती थी। इसलिए, उसने दोनों को रास्ते से हटाने की योजना बनाई, जिसमें उसने अपने प्रेमी धन डेका और उसके दोस्त अरूप डेका को शामिल किया।
मर्डर मिस्ट्री का खतरनाक प्लान: संपत्ति और पैसों के लिए हत्या

धन डेका असम के जोरहाट शहर में रहता था और पेशे से टूरिस्ट कैब ड्राइवर था। अरूप खानपारा असम का रहने वाला था और अपने पिता के साथ सब्जी का ठेला लगाता था। दोनों के पिता का कहना था कि उनके बेटे निर्दोष हैं और बंदना ने उन्हें फंसाया है। लेकिन सच्चाई यह थी कि धन डेका इस लालच में आ गया था कि वह बंदना के साथ मिलकर उसकी संपत्ति और पैसों पर ऐश कर सकेगा। वहीं, अरूप को 2 फरवरी 2023 को होने वाली अपनी शादी के लिए पैसों की ज़रूरत थी, इसलिए वह 2 लाख रुपये के लिए इस अपराध में शामिल हो गया।
अरूप की शादी तो हो गई, लेकिन 22 फरवरी को होने वाली रिसेप्शन पार्टी से ठीक तीन दिन पहले उसे गिरफ्तार कर लिया गया। अरूप के पिता कैलाश ने बताया कि बंदना और धन लगभग एक साल पहले उनके घर आते-जाते थे और उन्होंने बताया था कि वे रिलेशनशिप में हैं और जल्दी शादी करने वाले हैं। कैलाश को यह भी नहीं पता था कि बंदना पहले से शादीशुदा है। उसने तो उन्हें अपना नाम अनामिका बताया था।
बंदना बहुत शातिर थी। उसे पता था कि अमरज्योति और उसकी मां शंकरी के बीच रिश्ते अच्छे नहीं हैं। लेकिन, शंकरी के पास अमरज्योति के अलावा और कोई नहीं था। इसलिए, अंत में सब कुछ अमरज्योति का ही था। अमरज्योति और उसकी मां के बीच की दूरी का फायदा उठाकर बंदना ने आसानी से दोनों को रास्ते से हटा दिया। यही कारण था कि दोनों हत्याओं के बीच इतने दिनों का अंतर होने के बावजूद अमरज्योति को अपनी मां के गायब होने की खबर नहीं लगी।
मर्डर मिस्ट्री में बंदना की चालाकी
दो हत्याएं करने के बाद भी बंदना को किसी बात का कोई पछतावा नहीं था। वह आराम से अपनी ज़िंदगी जी रही थी। पुलिस के अनुसार, हत्या के दो महीने बाद अक्टूबर में, बंदना ने उसी घर में, जहां उसने अमरज्योति की हत्या की थी, सत्यनारायण पूजा रखी थी, जिसमें उसने अपने माता-पिता को भी आमंत्रित किया था। इतना ही नहीं, उसने उस घर में कुछ निर्माण कार्य भी करवाया।
बंदना सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय थी और अक्सर प्रेरणादायक उद्धरण और घूमते हुए अपनी तस्वीरें शेयर करती थी। अगर यह सब पढ़कर आपका खून खौल रहा है, तो रुकिए, क्योंकि कोर्ट का फैसला बाकी है।
मर्डर मिस्ट्री का कोर्ट ड्रामा: जमानत और तारीख पर तारीख
12 मई 2023 को, हत्या के तीन महीने बाद, तीनों के खिलाफ 1600 पन्नों की चार्जशीट तैयार की गई। लेकिन जांच पूरी होने से पहले ही इसे कोर्ट में जमा कर दिया गया, जिसके आधार पर दोषी डिफॉल्ट जमानत की मांग कर सकते हैं। इस मामले में भी तीनों ने जमानत के लिए अपील की।
17 जून को कोर्ट ने उनकी मांग खारिज कर दी। लेकिन चूंकि दी गई समय सीमा तक फॉरेंसिक रिपोर्ट कोर्ट में जमा नहीं हो पाई थी, इसलिए 11 अक्टूबर 2023 को गुवाहाटी हाई कोर्ट ने केवल 500 रुपये की फीस और कुछ शर्तों के आधार पर अरूप को जमानत दे दी। इसी आधार पर 10 नवंबर 2023 को बंदना और धन को भी जमानत पर रिहा कर दिया गया।
मर्डर मिस्ट्री के बीच बंदना की बेशर्मी
बंदना को कोर्ट की जिन शर्तों का पालन करना है, उनके अनुसार उसे हफ्ते में दो बार नूनमाटी पुलिस स्टेशन जाना होता है, और वह बिना कोर्ट की अनुमति के जिला नहीं छोड़ सकती। मामला अभी भी कोर्ट में चल रहा है। हर तारीख के बाद नई तारीख मिल रही है, और ये तीनों अपराधी बिना किसी सजा के आज़ाद घूम रहे हैं।
पुलिस ने यह भी खुलासा किया था कि बंदना की टारगेट लिस्ट में एक और नाम था, जो अमरज्योति के परिवार से था, लेकिन सुरक्षा कारणों से उस नाम का खुलासा नहीं किया गया। सोचिए, एक परिवार के सदस्य की जान को खतरा होने के बावजूद, इस मामले में अब तक हुई 40 सुनवाइयों में कोर्ट किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है।
ट्रायल के दौरान, बंदना मीडिया के सवालों से बचते हुए बेशर्मी से मुस्कुराती नजर आई। शायद उसे पता था कि इस देश में चाहे कितना भी बड़ा अपराध कर लो, जमानत मिल जाएगी, और वह आज़ाद घूम सकती है। कोर्ट में तारीख पर तारीख मिलती रहेगी, और इंसाफ ठोकर खाता रहेगा।
मर्डर मिस्ट्री और पुलिस की लापरवाही
इस मामले से जुड़ी कई गलत जानकारियां भी सोशल मीडिया पर मौजूद हैं, जैसे इस मामले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने और श्रद्धा वालकर मामले से तुलना करने के लिए शव को कुछ दिन फ्रिज में रखने या जेल में बंदना द्वारा नॉनवेज खाने की मांग जैसी बेबुनियाद बातें। कुछ ने तो इस मामले में यौन कोण को मिर्च-मसाला लगाकर पेश किया।
लेकिन अगर हम इस मामले के तथ्यों को ईमानदारी से देखें, तो पहली लापता शिकायत से लेकर तीनों की गिरफ्तारी तक लगभग पांच महीने का अंतराल देखने को मिलता है, जबकि गिरफ्तारी के केवल तीन दिन बाद ही बंदना ने अपने अपराध को पुलिस के सामने कबूल कर लिया था।
बंदना जिस ओवरस्मार्टनेस के साथ खुद पुलिस स्टेशन जाकर लापता होने की शिकायत दर्ज करा रही थी और पुलिस पर दोनों को ढूंढने का दबाव डाल रही थी, अगर उस समय पुलिस ने सही से अपना काम किया होता, तो शायद इसका खुलासा बहुत पहले हो जाता। शव के हिस्सों की बरामदगी समय पर हो जाती, फॉरेंसिक रिपोर्ट भी समय पर आ जाती, और सभी अपराधियों को जमानत नहीं मिल पाती।
निष्कर्ष: मर्डर मिस्ट्री से मिला सबक
संक्षेप में, इस मामले को बिगाड़ने में पुलिस के ढीले-ढाले रवैये का भी बहुत बड़ा हाथ है। आम तौर पर, एक इंसान को अपने घर में सालों से रखे फर्नीचर से भी लगाव हो जाता है, लेकिन कुछ लोग सालों तक साथ रहने के बाद भी इस तरह का अपराध कर डालते हैं। जैसा कि कहा जाता है, फर्नीचर तो सिर्फ घर में कोना बदलता है, लेकिन कुछ अपने वक्त के साथ चाल, चेहरा, और नियत, तीनों बदल देते हैं।
धन्यवाद।