
क्या हे भारत सरकार का मेगा प्लान: 2047 ? वैसे तो भारत में कई सारे बैंक हैं—प्राइवेट बैंक, पब्लिक सेक्टर बैंक—लेकिन भारत का कोई ऐसा बैंक नहीं है जो ग्लोबली टॉप 20 में आता हो। और इसी की वजह से कहीं ना कहीं भारत सरकार एक बड़ा कदम लेने जा रही है। प्लान यह है कि कम से कम दो मेगा बैंक होने चाहिए, जो कि टॉप 20 में आते हों।
इसको थोड़ा सा डिटेल में समझते हैं क्योंकि यहां पर मर्जर प्लान की बात चल रही है। अगर आपको बड़े बैंक बनाने हैं तो मर्जर एक रास्ता हो सकता है। कुछ साल पहले भी भारत सरकार ने मर्जर किया था। बहुत सारे पब्लिक सेक्टर बैंक को कंसोलिडेट किया और आज की डेट में टोटल 12 पब्लिक सेक्टर बैंक मौजूद हैं। हो सकता है कि नेक्स्ट राउंड में यहां पर कई सारे बैंक का मर्जर हो जाए।
भारत सरकार का मेगा बैंक प्लान
सरकार कंसीडर कर रही है कि पब्लिक सेक्टर बैंक का कंसोलिडेशन दूसरा राउंड चलाया जाए। अभी हाल ही में पब्लिक सेक्टर बैंक मंथन समिट आयोजित हुआ था और इसी में यह चर्चा निकली कि छोटे-छोटे बैंक की बजाय बड़े बैंक होने चाहिए।
पिछले मर्जर से अब तक की कहानी
2017 में 27 पब्लिक सेक्टर बैंक थे। 2019–20 में इन्हें मर्ज करके 12 कर दिया गया। जैसे ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को मर्ज किया गया PNB में। सिंडिकेट बैंक को मर्ज किया गया केनरा बैंक में। आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक को मर्ज किया गया यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में।
अब फिर मर्जर की चर्चा क्यों?

लेकिन सवाल यह है कि जब कुछ साल पहले ही मर्जर हुआ तो अब फिर क्यों चर्चा हो रही है?
ग्लोबल लेवल पर बड़े बैंक की जरूरत
ग्लोबली कॉम्पिटेटिव होने के लिए बड़े बैंक चाहिए। बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को फाइनेंस करने की क्षमता तभी आती है जब बैंक बहुत बड़ा हो। भारत को 2040 तक लगभग 4.5 ट्रिलियन डॉलर का इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट चाहिए। छोटे बैंक मिलकर तो फंडिंग कर सकते हैं लेकिन बड़े बैंक अकेले ही ऐसे प्रोजेक्ट्स को फाइनेंस कर पाएंगे।
क्रेडिट ग्रोथ भी चिंता का विषय है। नॉन-फूड क्रेडिट ग्रोथ 2024 में 13.7% था जो घटकर 10% से नीचे आ गया है। इंडस्ट्रियल लेंडिंग कमजोर है। प्राइवेट बैंक मार्केट शेयर ले रहे हैं। सरकार चाहती है कि पब्लिक सेक्टर बैंक मजबूत बनें और ग्लोबल लेवल पर कॉम्पिट करें।
भारत सरकार के टॉप बैंक की मौजूदा स्थिति
भारत के सबसे बड़े बैंक SBI का एसेट लगभग $780–800 बिलियन है और यह ग्लोबली 43वें स्थान पर है। HDFC बैंक का एसेट लगभग $460 बिलियन है और यह टॉप 100 में आता है। लेकिन टॉप 20 में शामिल UBS बैंक के पास लगभग $1.7 ट्रिलियन एसेट है। यानी SBI से दोगुना।2047 तक का टारगेट और स्ट्रैटेजी
अगर भारत को 2047 तक टॉप 20 में आना है, तो SBI को 5–8% की CAGR से लगातार ग्रो करना होगा। HDFC और अन्य बैंकों को तो इससे भी ज्यादा ग्रोथ करनी होगी।
फेज़-वाइज रोडमैप: 2025 से 2047 तक
- 2025–30 (फाउंडेशन फेज़): सरकार को दो चैंपियन बैंक चुनने होंगे, जिनमें भारी कैपिटल इनफ्यूजन, टेक्नोलॉजी अपग्रेड, और गवर्नेंस रिफॉर्म लाने होंगे।
- 2031–39 (ग्लोबलाइजेशन फेज़): ग्लोबल लेवल पर 4–8 मार्केट्स में एक्सपैंशन करना होगा, इनकम स्ट्रीम डाइवर्सिफाई करनी होगी।
- 2040–47 (ग्लोबल प्लेयर फेज़): टॉप ग्लोबल बैंक के बराबरी करने लायक स्केल और मैट्रिक्स हासिल करना होगा।
आगे की चुनौतियां और रिस्क फैक्टर
- क्रेडिट रिस्क (ज्यादा लोन देने से NPAs बढ़ सकते हैं)
- सोशल मांडेट बनाम कमर्शियल गोल्स
- गवर्नेंस फेलियर (पॉलिटिकल इंटरफेरेंस कम करना होगा)
- ग्लोबल रेगुलेटरी बर्डन
भारत सरकार , RBI और बैंक की जिम्मेदारियां
- फाइनेंस मिनिस्ट्री: पॉलिसी, कैपिटल और माइलस्टोन सेट करना।
- RBI: रेगुलेशन और इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स लागू कराना।
- बैंक: ट्रांसफॉर्मेशन प्लान, कैपिटल रेज़, टेक्नोलॉजी इन्वेस्टमेंट और ग्लोबल एक्सपैंशन करना।
निष्कर्ष: विकसित भारत 2047 का बैंकिंग विज़न
विकसित भारत सरकार 2047 के विज़न के तहत दो ग्लोबली कॉम्पिटिटिव बैंक बनाने का लक्ष्य महत्वाकांक्षी है। यह न्यूमेरिकली अचीवेबल है, लेकिन इसके लिए 5–8% सतत ग्रोथ, भारी कैपिटलाइजेशन, गवर्नेंस रिफॉर्म, टेक्नोलॉजिकल अपग्रेड और ग्लोबल प्रेजेंस अनिवार्य होंगे।