परिचय: एक परिवार का दर्दनाक अंत

आज की दुनिया में अपराध की कहानियां हमें अक्सर चौंका देती हैं, लेकिन कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो दिल को झकझोर कर रख देती हैं। मलिक फैमिली केस ऐसी ही एक घटना है, जो हरियाणा के रोहतक शहर से जुड़ी है। यह केस न केवल एक परिवार के विनाश की कहानी है, बल्कि पारिवारिक रिश्तों में छिपी जटिलताओं, सामाजिक दबावों और व्यक्तिगत संघर्षों को भी उजागर करता है।
27 अगस्त 2021 को हुई इस घटना ने पूरे इलाके को हिला दिया, जब एक ही घर में चार लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस ब्लॉग पोस्ट में हम इस मलिक फैमिली केस की पूरी डिटेल्स पर नजर डालेंगे, शुरुआत से लेकर जांच के नतीजों तक। यह पोस्ट आपको जागरूक करने के उद्देश्य से लिखी गई है, ताकि हम सब अपने आसपास की स्थितियों पर ध्यान दें और सतर्क रहें।
यह घटना विजयनगर कॉलोनी में रहने वाले मलिक परिवार से जुड़ी है। परिवार में प्रदीप मलिक (पिता), बबली देवी (मां), नेहा मलिक (18 वर्षीय बेटी), रोशनी देवी (नानी), और अभिषेक मलिक (20 वर्षीय बेटा) शामिल थे। बाहर से देखने पर यह एक सामान्य, संपन्न परिवार लगता था, लेकिन अंदरूनी संघर्ष इसकी बुनियाद हिला रहे थे। इस केस ने सवाल उठाए कि क्या पारिवारिक कलह इतनी गंभीर हो सकती है कि हत्या तक पहुंच जाए? आइए, घटना की शुरुआत से जानते हैं।
मलिक फैमिली केस की शुरुआत: एक सामान्य दिन का खौफनाक मोड़
27 अगस्त 2021 का दिन रोहतक शहर के लिए एक काला दिन साबित हुआ। दोपहर करीब 2 बजे अभिषेक मलिक घर लौटा। वह सुबह से बाहर था और घर पहुंचने से पहले उसने परिवार से संपर्क करने की कोशिश की। उसकी मां बबली देवी और बहन नेहा का फोन स्विच ऑफ था, जबकि पिता प्रदीप मलिक फोन नहीं उठा रहे थे।चिंतित होकर अभिषेक ने पड़ोस में रहने वाले चाचा को फोन किया और स्थिति बताई। चाचा तुरंत घर पहुंचे और देखा कि बाहरी गेट खुला था, लेकिन मुख्य दरवाजा बाहर से लॉक था।
चाचा ने आसपास के रिश्तेदारों और दोस्तों से पूछताछ की, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली। आधे घंटे बाद अभिषेक घर पहुंचा। दरवाजा न खुलने पर वह बाहर की सीढ़ियों से पहली मंजिल पर गया, जहां का दरवाजा भी लॉक था। उसने मामा को फोन किया, जो सांपला से आ रहे थे। मामा की सलाह पर अभिषेक ने पहली मंजिल का दरवाजा तोड़ा और अंदर दाखिल हुआ।सबसे पहले नेहा के कमरे में गया, जहां का नजारा देखकर उसकी चीख निकल गई। नेहा बिस्तर पर लहूलुहान पड़ी थी, पूरा बिस्तर खून से सना हुआ था।
चीख सुनकर चाचा और पड़ोसी ऊपर आए। अगले कमरे में नानी रोशनी देवी बिस्तर पर और मां बबली देवी फर्श पर खून में डूबी पड़ी थीं। नीचे की मंजिल का दरवाजा तोड़ने पर प्रदीप मलिक की लाश मिली, जिनके कंधे और कान के बीच फोन फंसा हुआ था। मामा भी पहुंच चुके थे और अभिषेक को संभालने की कोशिश कर रहे थे।
अभिषेक ने पुलिस बुलाने को कहा। पुलिस मौके पर पहुंची, एंबुलेंस आई, और शवों को अस्पताल भेजा गया। अस्पताल में पिता, मां और नानी की मौत की पुष्टि हुई, जबकि नेहा की सांसें चल रही थीं। उसे आईसीयू में भर्ती किया गया।
यह स्पष्ट था कि सभी को गोली मारी गई थी। अभिषेक अब अनाथ हो चुका था, और नेहा की हालत गंभीर थी। कॉलोनी में डर का माहौल था—दिनदहाड़े इतनी बड़ी घटना कैसे हो गई? पुलिस ने जांच शुरू की, घर की तलाशी ली, फोरेंसिक सबूत इकट्ठे किए, प्रदीप का फोन जब्त किया, और पांच गोलियों के खोल बरामद किए। आसपास के सीसीटीवी फुटेज चेक किए गए, लेकिन कोई संदिग्ध नहीं दिखा।
मलिक फैमिली केस जांच की शुरुआत: दुश्मनी, चोरी या कुछ और?
पुलिस ने तुरंत पोस्टमॉर्टम कराया। नेहा को सिर में गोली लगी थी, लेकिन वह जीवित थी। अन्य तीनों की मौत की पुष्टि हुई। नेहा की मौत 29 अगस्त को हो गई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला कि सभी को सिर में गोली मारी गई थी—मां, नानी और बहन को एक-एक, जबकि पिता को दो गोलियां (सिर और चेहरे पर)। गोलियां बहुत करीब से मारी गईं थीं।
पुलिस ने परिवार के बैकग्राउंड की जांच की। प्रदीप मलिक प्रॉपर्टी डीलर थे, लेकिन कोई दुश्मनी नहीं मिली। चोरी का एंगल भी कमजोर था, क्योंकि घर में कुछ नहीं लूटा गया। सीसीटीवी में कोई बाहरी व्यक्ति नहीं दिखा, और दरवाजे बाहर से लॉक थे। चाबी केवल परिवार वालों के पास थी। इससे संकेत मिला कि हत्यारा घर का सदस्य हो सकता है।
अभिषेक से पूछताछ की गई, लेकिन वह दुख में था और बयान बदल रहा था। 30 अगस्त को उसे अकेले थाने लाया गया। उसने बताया कि 27 अगस्त को सुबह 10 बजे परिवार ने साथ नाश्ता किया, फिर वह 11 बजे दोस्तों की पार्टी के लिए दिल्ली बायपास रोड के होटल गया। 1 बजे परिवार को फोन किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। चाचा को फोन किया और 2 बजे घर पहुंचा। पुलिस ने इसकी पुष्टि की—अभिषेक का बयान सही था।
पूछताछ में पुलिस ने नोटिस किया कि अभिषेक का व्यवहार स्त्री जैसा था। पड़ोसियों से पता चला कि वह समलैंगिक था, और इस वजह से घर में झगड़े हो रहे थे। पुलिस ने उसके दोस्तों की जांच की। ज्यादातर दोस्त लोकल थे, लेकिन एक—कार्तिक (उत्तराखंड से)—उसका बॉयफ्रेंड था। पुलिस को शक हुआ कि कार्तिक इसमें शामिल हो सकता है। एक टीम कार्तिक को ढूंढने लगी।

अभिषेक का बैकग्राउंड: छिपे हुए राज और पारिवारिक कलह
मलिक परिवार संपन्न था। प्रदीप मलिक प्रॉपर्टी डीलिंग में सफल थे, दिल्ली तक पहुंच थी। बबली देवी गृहिणी थीं। नेहा पढ़ाई कर रही थी। अभिषेक ने रोहतक से 12वीं पास की, फिर दिल्ली में केबिन क्रू कोर्स किया और वापस आकर बीकॉम शुरू किया। प्रदीप को जान का खतरा था, इसलिए बॉडीगार्ड रखते थे और घर में एक अवैध पिस्तौल थी, जिसका इस्तेमाल सभी को सिखाया गया था।
दिल्ली में कोर्स के दौरान अभिषेक की मुलाकात कार्तिक से हुई। दोनों समलैंगिक थे और रिलेशनशिप में आ गए। कोर्स के बाद कार्तिक रोहतक आता, और दोनों होटलों में रहते। अभिषेक घर पर कार्तिक को दोस्त बताकर लाता। वे घूमते और ऐश करते। अभिषेक ने यूरोप जाने और जेंडर चेंज सर्जरी का प्लान बनाया, जिसके लिए 5 लाख रुपये चाहिए थे।
जुलाई-अगस्त 2021 में अभिषेक ने पिता से पैसे मांगे, लेकिन वजह न बताने पर मना कर दिया। जांच से पता चला कि वह जेंडर चेंज चाहता था। पिता ने पीटा और पैसे देने से इंकार किया। अभिषेक ने कहा कि पैसे दो, वह चला जाएगा। पिता ने संपत्ति नेहा के नाम करने की धमकी दी. पॉकेट मनी बंद, कार इस्तेमाल पर रोक, कार्तिक का घर आना बंद।
नेहा को स्कूटी मिलने से अभिषेक टूट गया। मां ने नानी को बुलाया समझाने के लिए, लेकिन अभिषेक परिवार को दुश्मन मानने लगा। उसने सोचा कि परिवार के बिना वह आजाद होगा और संपत्ति उसकी होगी।
मलिक फैमिली केस हत्या का प्लान और अमल
25 अगस्त को कार्तिक रोहतक आया। दोनों होटल में रुके। 27 अगस्त सुबह अभिषेक घर आया, नाश्ता किया। पिता की पिस्तौल चुराई। नेहा सो रही थी – अभिषेक ने टीवी तेज किया और सिर में गोली मारी। नानी को गिटार सुनाने के बहाने ऊपर बुलाया, टीवी तेज कर गोली मारी। मां को नानी देखने भेजा, पीछे से गोली मारी। पिता फोन पर थे – अभिषेक ने सिर में गोली मारी, फिर दूसरी।
घर लॉक किया, पिस्तौल नाले में फेंकी, कार्तिक के पास गया। होटल से चेकआउट कर दोस्तों की पार्टी दी। पार्टी में नॉर्मल दिखा, लेकिन खाया नहीं। परिवार को फोन करने का नाटक किया, चाचा को बुलाया। घर जाकर दरवाजा तोड़ा, रोने की एक्टिंग की। नेहा बाद में मरी। 1-2 सितंबर को पुलिस ने खुलासा किया कि अभिषेक ने कबूल लिया। उसने परिवार को रास्ते से हटाने के लिए कत्ल किया।
मलिक फैमिली केस गिरफ्तारी और जांच का अंत: न्याय की राह
अभिषेक को गिरफ्तार किया गया, और कोर्ट से 5 दिन का रिमांड मिला। पिस्तौल, कपड़े आदि बरामद। वह शांत था, रोता तो कार्तिक की याद में। मनोचिकित्सक ने नॉर्मल बताया। कार्तिक ने इनकार किया। दिसंबर 2021 में केस स्टेट क्राइम ब्रांच को सौंपा। जांच जारी है। यह मलिक फैमिली केस हमें सिखाता है कि पारिवारिक मुद्दों को बातचीत से सुलझाएं, न कि हिंसा से। समलैंगिकता जैसे मुद्दों पर समझदारी जरूरी है।
Conclusion: सीख और जागरूकता
मलिक फैमिली केस एक दुखद उदाहरण है कि कैसे व्यक्तिगत इच्छाएं परिवार को तबाह कर सकती हैं। अभिषेक की गिरफ्तारी ने न्याय की उम्मीद जगाई, लेकिन नेहा जैसी मासूमों का क्या? हमें परिवार में संवाद बढ़ाना चाहिए, सामाजिक दबावों से लड़ना चाहिए। आपके विचार? कमेंट करें।