CBI जांच मनीषा केस में और इस हत्याकांड में इंसाफ या सिस्टम की सबसे बड़ी लापरवाही?

CBI जांच मनीषा केस
CBI जांच मनीषा केस

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CBI जांच मनीषा केस में :हरियाणा के भिवानी जिले के लोहारू तहसील के धानी लक्ष्मण गांव की 19 वर्षीय मनीषा का केस आज पूरे राज्य ही नहीं बल्कि देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। 11 अगस्त 2025 को मनीषा लापता हुई और 13 अगस्त को उसकी डेड बॉडी खेत में मिली। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या मनीषा को इंसाफ मिल पाएगा? या फिर यह केस भी सिस्टम की लापरवाही और साजिश की भेंट चढ़ जाएगा?

लापता होने से लेकर मौत तक की पूरी कहानी और CBI जांच मनीषा केस में

11 अगस्त को मनीषा अपने स्कूल से निकलकर नर्सिंग कॉलेज में एडमिशन फॉर्म लेने गई थी। वहीं से उसका आखिरी सीसीटीवी फुटेज मिला। शाम तक घर न लौटने पर परिवार चिंतित हुआ और पुलिस से मदद मांगी, लेकिन पुलिस ने लापरवाही दिखाते हुए FIR दर्ज करने में देरी की।

13 अगस्त को मनीषा की बॉडी खेत में मिली। उसका चेहरा बुरी तरह डैमेज था, आंखें गायब थीं और गर्दन लगभग कटी हुई थी। यह मंजर इतना खौफनाक था कि जिसने भी देखा उसके रोंगटे खड़े हो गए।

पहला पोस्टमार्टम और चौंकाने वाली रिपोर्ट

भिवानी सिविल हॉस्पिटल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

  • बॉडी पर ऑर्गेनो-फास्फोरस (पॉइजन) के निशान मिले।
  • सलवार फटी हुई थी और नारा खुला हुआ मिला।
  • घुटनों पर चोट के निशान थे, लेकिन कपड़े सलामत थे।
  • आंखें गायब थीं।

इन तथ्यों से साफ था कि केस में रेप और मर्डर का एंगल मजबूत है।

रोहतक PGI का दूसरा पोस्टमार्टम और विरोधाभास

16 अगस्त को दबाव बढ़ने पर मनीषा का दूसरा पोस्टमार्टम रोहतक PGI में हुआ। यहां रिपोर्ट और भी विवादास्पद थी।

  • कहा गया कि गर्दन पर चोट जंगली जानवर की वजह से है।
  • चेहरे की खराब हालत को एसिड अटैक नहीं बल्कि जानवरों का हमला बताया गया।
  • रिपोर्ट में लिखा गया कि कॉर्निया और प्यूपिल डीकंपोज हो गए, जबकि भिवानी रिपोर्ट के अनुसार आई-बॉल्स ही गायब थीं।
  • भिवानी से बॉडी वॉश करके भेजी गई थी, फिर भी PGI ने लिखा कि बॉडी पर मिट्टी और घास थी।

दोनों रिपोर्ट्स में बड़ा विरोधाभास साफ दिख रहा था।

 पुलिस की लापरवाही और संदिग्ध रवैया

इस केस में पुलिस की भूमिका बेहद संदिग्ध रही।

  • समय पर सीसीटीवी फुटेज जब्त नहीं किए गए।
  • क्राइम सीन को सही से सील नहीं किया गया।
  • कॉल डिटेल्स और मोबाइल लोकेशन ट्रेस नहीं हुई।
  • क्राइम सीन से शराब की बोतल और टायर प्रिंट मिले, लेकिन उनका फॉरेंसिक टेस्ट नहीं हुआ।
  • मनीषा का मिसिंग फोन आज तक बरामद नहीं हुआ।

संदिग्ध “सुसाइड नोट”

18 अगस्त को पुलिस ने दावा किया कि उन्हें मनीषा का लिखा हुआ नोट मिला है।
लेकिन सवाल ये उठे:

  • बॉडी मिलने के कई दिन बाद नोट अचानक कैसे मिला?
  • अगर पहले से था तो छुपाया क्यों गया?
  • नोट की हैंडराइटिंग कंपोज़्ड थी, जबकि ऐसी स्थिति में लिखावट डिस्टॉर्टेड होती है।

इससे शक और गहरा गया कि यह नोट महज एक कवर-अप है।

 जनता और परिवार का आक्रोश

मनीषा का परिवार और गांव के लोग शुरू से ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर सवाल उठा रहे हैं। उनका मानना है कि मनीषा की हत्या हुई और संभव है उसके साथ रेप भी हुआ हो। लेकिन पुलिस और प्रशासन इस एंगल को लगातार दबा रहे हैं।

परिवार ने जब तक कातिल नहीं पकड़े जाते तब तक अंतिम संस्कार न करने का ऐलान किया। पूरे राज्य में गुस्सा फैल गया और लोग इंसाफ की मांग करने लगे।

सरकार और CBI जांच मनीषा केस में

बढ़ते दबाव और विरोध के चलते हरियाणा सरकार ने कुछ पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड और ट्रांसफर किया। साथ ही इंटरनेट सेवाएं बैन कर दी गईं। बाद में सीएम ने ट्वीट कर CBI जांच मनीषा केस में होगी और एम्स में तीसरे पोस्टमार्टम का ऐलान किया।

लेकिन सवाल अब भी वही है – क्या इतनी गड़बड़ी और लापरवाही के बाद सच सामने आ पाएगा?

पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स के विरोधाभास

  • भिवानी रिपोर्ट: आई बॉल्स मिसिंग।
  • PGI रिपोर्ट: कॉर्निया और प्यूपिल डीकंपोज।
  • भिवानी रिपोर्ट: सलवार फटी और नारा खुला।
  • PGI रिपोर्ट: कपड़ों का जिक्र ही नहीं।
  • भिवानी रिपोर्ट: विसरा पार्ट भेजा गया।
  • PGI रिपोर्ट: कई ऑर्गन्स मिसिंग।

इन विरोधाभासों ने पूरे केस को और संदिग्ध बना दिया।

वैज्ञानिक एंगल से मौत की टाइमिंग

पोस्टमार्टम में कहा गया कि मौत दो-तीन दिन पहले हुई। लेकिन बॉडी पर मैगेट्स नहीं मिले, जबकि 24 घंटे बाद मैगेट्स जरूर पड़ते हैं। इसका मतलब मौत 24 घंटे के भीतर हुई थी। यानी रिपोर्ट में बताए गए डेथ टाइम पर भी सवाल उठते हैं।

क्या यह सचमुच कवर-अप है?

सारे तथ्यों को मिलाकर यही लगता है कि केस को जानबूझकर कमजोर किया गया।

  • पुलिस का सुस्त रवैया।
  • संदिग्ध पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स।
  • अचानक मिला “सुसाइड नोट”।
  • क्राइम सीन से सबूत न जुटाना।

इन सबके चलते यह केस एक बड़े कवर-अप की तरह नजर आता है।

निष्कर्ष

मनीषा हत्याकांड सिर्फ एक केस नहीं बल्कि सिस्टम पर गंभीर सवाल है। इंसाफ की मांग करने वाले लोग आज भी उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन जांच में हुई गड़बड़ियों ने सच सामने आने की संभावना को बहुत कम कर दिया है।CBI जांच मनीषा केस में कुछ अहम् भूमिका निभा सकता हें

यह केस साफ दिखाता है कि जब जांच एजेंसियां और सिस्टम मिलकर सच को दबाते हैं तो कातिल चाहे जो भी हो, वह कभी पकड़ा नहीं जाता। सवाल यही है – क्या मनीषा को कभी इंसाफ मिलेगा? या यह केस भी फाइलों में दफन होकर रह जाएगा? क्या CBI जांच मनीषा केस में कुछ बदलाव ला सकता हें ?https://manojkanwar.com/मनीषा-हत्याकांड-भाग-1/

 

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